Tuesday, January 8, 2008
शब्दों में बहती ज़िंदगी
वो आँखों में रहने लगे हैं
लोग बावरा कहने लगे हैं
इश्क ने इतनी ताकत दी है
हर चोट हंस के सहने लगे हैं
तेरी याद में बहाए जो मोती
मेरी आँखों को गहने लगे हैं
जब तेरी हथेली हाथो में हो
कायनात मेरी गिरह में लगे है
उसने छुआ कलम को 'विकास'
शब्द ज़िन्दगी में बहने लगे हैं